श्रीराम की जन्म तिथि और अस्तित्व आज कंप्यूटर से
करूँगी साबित, कृपया पूरा लेख पढ़ें
प्राय: दूसरे धर्म के महानुभावो द्वारा श्री राम के
अस्तित्व पर प्रश्न किया जाता है | हमारे कुछ NBT के
आदरणीय ब्लॉगर जैसे की अनवर जी और
चंद्र्मोली जी ने श्री राम के अस्तित्व पर तो शौध
कराने तक की बात बोली, तो मैंने सोचा क्यों न इनके
प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयत्न किया जाये| भारतीय
राजस्व सेवा में कार्यरत पुष्कर भटनागर ने अमेरिका से
‘प्लैनेटेरियम गोल्ड’ नामक साफ्टवेयर प्राप्त किया,
जिससे सूर्य/ चंद्रमा के ग्रहण की तिथियां तथा अन्य
ग्रहों की स्थिति तथा पृथ्वी से
उनकी दूरी वैज्ञानिक तथा खगोलीय पद्धति से
जानी जा सकती है। इसके द्वारा उन्होंने
महर्षि वाल्मीकि द्वारा वर्णित खगोलीय
स्थितियों के आधार पर आधुनिक अंग्रेजी कैलेण्डर
की तारीखें निकाली है। इस प्रकार उन्होंने श्रीराम
के जन्म से लेकर 14 वर्ष के वनवास के बाद वापस
अयोध्या पहुंचने तक की घटनाओं
की तिथियों का पता लगाया है। श्रीराम का जन्म
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ। उस समय सूर्य,मंगल,गुरु,शनि व शुक्र ये पांच ग्रह उच्च स्थान में विद्यमान थे तथा लग्न में चंद्रमा के साथ
बृहस्पति विराजमान थे।
ग्रहों,नक्षत्रों तथा राशियों की स्थिति इस प्रकार
थी-सूर्य मेष में,मंगल मकर में,बृहस्पति कर्क में, शनि तुला में और शुक्र मीन में थे। जब उपर्युक्त खगोलीय
स्थिति को कंप्यूटर में डाला गया तो ‘प्लैनेटेरियम
गोल्ड साफ्टवेयर’ के माध्यम से यह निर्धारित
किया गया कि 10 जनवरी, 5114 ई.पू. दोपहर के समय अयोध्या के लेटीच्यूड तथा लांगीच्यूड से ग्रहों,
नक्षत्रों तथा राशियों की स्थिति बिल्कुल
वही थी, जो महर्षि वाल्मीकि ने वर्णित की है। इस
प्रकार श्रीराम का जन्म 10 जनवरी सन् 5114 ई. पू.
(7117 वर्ष पूर्व)को हुआ जो भारतीय कैलेण्डर के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है और समय 12 बजे से 1 बजे के बीच का है। श्रीराम
का राज्याभिषेक। ....। राजा दशरथ मीन राशि के थे
और उनका नक्षत्र रेवती था ये सभी तथ्य कंप्यूटर में डाले
तो पाया कि 5 जनवरी वर्ष 5089 ई.पू.के दिन
सूर्य,मंगल और राहु तीनों मीन राशि के रेवती नक्षत्र पर
स्थित थे। यह सर्वविदित है कि राज्य तिलक वाले दिन
ही राम को वनवास जाना पड़ा था। इस प्रकार यह
वही दिन था जब श्रीराम को अयोध्या छोड़ कर 14
वर्ष के लिए वन में जाना पड़ा। उस समय श्रीराम
की आयु 25 वर्ष (5114- 5089) की निकलती है
तथा वाल्मीकि रामायण में अनेक श्लोक यह इंगित
करते है कि जब श्रीराम ने 14 वर्ष के लिए अयोध्या से
वनवास को प्रस्थान किया तब वे 25 वर्ष के थे।
किसी एक समय पर बारह में से छह
राशियों को ही आकाश में देखा जा सकता है।
वाल्मीकि रामायण में हनुमान के लंका से वापस समुद्र
पार आने के समय आठ राशियों, ग्रहों तथा नक्षत्रों के
दृश्य को अत्यंत रोचक ढंग से वर्णित किया गया है। ये
खगोलीय स्थिति श्री भटनागर द्वारा प्लैनेटेरियम के
माध्यम से प्रिन्ट किए हुए 14 सितंबर 5076 ई.पू.
की सुबह 6:30 बजे से सुबह 11 बजे तक के आकाश से बिल्कुल मिलती है। इसी प्रकार अन्य अध्यायों में
वाल्मीकि द्वारा वर्णित ग्रहों की स्थिति के
अनुसार कई बार दूसरी घटनाओं
की तिथियां भी साफ्टवेयर के माध्यम से
निकाली गई जैसे श्रीराम ने अपने 14 वर्ष के वनवास
की यात्रा 2 जनवरी 5076 ई.पू.को पूर्ण की और ये
दिन चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी ही था। इस
प्रकार जब श्रीराम अयोध्या लौटे तो वे 39 वर्ष के थे
(5114-5075)।
आशा है की इनकी जिज्ञासा थोड़ी बहुत तो शांत हुई
होगी...जय श्रीराम की ....
करूँगी साबित, कृपया पूरा लेख पढ़ें
प्राय: दूसरे धर्म के महानुभावो द्वारा श्री राम के
अस्तित्व पर प्रश्न किया जाता है | हमारे कुछ NBT के
आदरणीय ब्लॉगर जैसे की अनवर जी और
चंद्र्मोली जी ने श्री राम के अस्तित्व पर तो शौध
कराने तक की बात बोली, तो मैंने सोचा क्यों न इनके
प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयत्न किया जाये| भारतीय
राजस्व सेवा में कार्यरत पुष्कर भटनागर ने अमेरिका से
‘प्लैनेटेरियम गोल्ड’ नामक साफ्टवेयर प्राप्त किया,
जिससे सूर्य/ चंद्रमा के ग्रहण की तिथियां तथा अन्य
ग्रहों की स्थिति तथा पृथ्वी से
उनकी दूरी वैज्ञानिक तथा खगोलीय पद्धति से
जानी जा सकती है। इसके द्वारा उन्होंने
महर्षि वाल्मीकि द्वारा वर्णित खगोलीय
स्थितियों के आधार पर आधुनिक अंग्रेजी कैलेण्डर
की तारीखें निकाली है। इस प्रकार उन्होंने श्रीराम
के जन्म से लेकर 14 वर्ष के वनवास के बाद वापस
अयोध्या पहुंचने तक की घटनाओं
की तिथियों का पता लगाया है। श्रीराम का जन्म
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ। उस समय सूर्य,मंगल,गुरु,शनि व शुक्र ये पांच ग्रह उच्च स्थान में विद्यमान थे तथा लग्न में चंद्रमा के साथ
बृहस्पति विराजमान थे।
ग्रहों,नक्षत्रों तथा राशियों की स्थिति इस प्रकार
थी-सूर्य मेष में,मंगल मकर में,बृहस्पति कर्क में, शनि तुला में और शुक्र मीन में थे। जब उपर्युक्त खगोलीय
स्थिति को कंप्यूटर में डाला गया तो ‘प्लैनेटेरियम
गोल्ड साफ्टवेयर’ के माध्यम से यह निर्धारित
किया गया कि 10 जनवरी, 5114 ई.पू. दोपहर के समय अयोध्या के लेटीच्यूड तथा लांगीच्यूड से ग्रहों,
नक्षत्रों तथा राशियों की स्थिति बिल्कुल
वही थी, जो महर्षि वाल्मीकि ने वर्णित की है। इस
प्रकार श्रीराम का जन्म 10 जनवरी सन् 5114 ई. पू.
(7117 वर्ष पूर्व)को हुआ जो भारतीय कैलेण्डर के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है और समय 12 बजे से 1 बजे के बीच का है। श्रीराम
का राज्याभिषेक। ....। राजा दशरथ मीन राशि के थे
और उनका नक्षत्र रेवती था ये सभी तथ्य कंप्यूटर में डाले
तो पाया कि 5 जनवरी वर्ष 5089 ई.पू.के दिन
सूर्य,मंगल और राहु तीनों मीन राशि के रेवती नक्षत्र पर
स्थित थे। यह सर्वविदित है कि राज्य तिलक वाले दिन
ही राम को वनवास जाना पड़ा था। इस प्रकार यह
वही दिन था जब श्रीराम को अयोध्या छोड़ कर 14
वर्ष के लिए वन में जाना पड़ा। उस समय श्रीराम
की आयु 25 वर्ष (5114- 5089) की निकलती है
तथा वाल्मीकि रामायण में अनेक श्लोक यह इंगित
करते है कि जब श्रीराम ने 14 वर्ष के लिए अयोध्या से
वनवास को प्रस्थान किया तब वे 25 वर्ष के थे।
किसी एक समय पर बारह में से छह
राशियों को ही आकाश में देखा जा सकता है।
वाल्मीकि रामायण में हनुमान के लंका से वापस समुद्र
पार आने के समय आठ राशियों, ग्रहों तथा नक्षत्रों के
दृश्य को अत्यंत रोचक ढंग से वर्णित किया गया है। ये
खगोलीय स्थिति श्री भटनागर द्वारा प्लैनेटेरियम के
माध्यम से प्रिन्ट किए हुए 14 सितंबर 5076 ई.पू.
की सुबह 6:30 बजे से सुबह 11 बजे तक के आकाश से बिल्कुल मिलती है। इसी प्रकार अन्य अध्यायों में
वाल्मीकि द्वारा वर्णित ग्रहों की स्थिति के
अनुसार कई बार दूसरी घटनाओं
की तिथियां भी साफ्टवेयर के माध्यम से
निकाली गई जैसे श्रीराम ने अपने 14 वर्ष के वनवास
की यात्रा 2 जनवरी 5076 ई.पू.को पूर्ण की और ये
दिन चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी ही था। इस
प्रकार जब श्रीराम अयोध्या लौटे तो वे 39 वर्ष के थे
(5114-5075)।
आशा है की इनकी जिज्ञासा थोड़ी बहुत तो शांत हुई
होगी...जय श्रीराम की ....
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