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बुधवार, दिसंबर 16

दिल्ली के लालकिले का रहस्य क्या है.... और, इसे किसने बनवाया था ......?????

क्या आप जानते हैं कि..... दिल्ली के लालकिले का रहस्य क्या है.... और, इसे किसने बनवाया था ......?????
अक्सर हमें यह पढाया जाता है कि..... दिल्ली का लालकिला ... शाहजहाँ ने बनवाया था...!
लेकिन... यह एक सफ़ेद झूठ है और..... दिल्ली का लालकिला .... शाहजहाँ के जन्म से सैकड़ों साल पहले ""महाराज अनंगपाल तोमर द्वितीय"" द्वारा दिल्ली को बसाने के क्रम में ही बनाया गया था...!
और, यह जानकर आप ख़ुशी से उछल ही पड़ेंगे कि.... महाराज अनंगपाल तोमर .... और कोई नहीं बल्कि.... महाभारत के अभिमन्यु के वंशज तथा महाराज पृथ्वीराज चौहान के नाना जी थे...!
इतिहास के अनुसार .... लाल किला का असली नाम ...."" लाल कोट "" है ... जिसे महाराज अनंगपाल द्वितीय द्वारा सन 1060 ईस्वी में ... दिल्ली शहर को बसाने के क्रम में ही बनवाया गया था..... जबकि शाहजहाँ का जन्म ही ... उसके सैकड़ों वर्ष बाद .... 1592 ईस्वी में हुआ है...!
दरअसल.... शाहजहाँ नमक मुसलमान ने ... इसे बसाया नहीं ... बल्कि.... पूरी तरह से नष्ट करने की असफल कोशिश की थी..... ताकि, वो उसके द्वारा बनाया साबित हो सके.....लेकिन सच सामने आ ही जाता है...!
इसका सबसे बड़ा प्रमाण तो यही है कि..... तारीखे फिरोजशाही के पृष्ट संख्या 160 (ग्रन्थ ३ ) में लेखक लिखता है कि..... सन 1296 के अंत में जब अलाउद्दीन खिलजी अपनी सेना लेकर दिल्ली आया तो वो कुश्क-ए-लाल ( लाल प्रासाद/ महल ) कि ओर बढ़ा और वहां उसने आराम किया ...!
सिर्फ इतना ही नहीं.... अकबरनामा और अग्निपुराण.... दोनों ही जगह ... इस बात के वर्णन हैं कि..... महाराज अनंगपाल ने ही .... एक भव्य और आलिशान दिल्ली का निर्माण करवाया था...!
और तो और.... शाहजहाँ से 250 वर्ष पहले ही.... 1398 ईस्वी में ..... मे एक अन्य लंगड़ा जेहादी तैमूरलंग ने भी पुरानी दिल्ली का उल्लेख किया हुआ है (जो कि शाहजहाँ द्वारा बसाई बताई जाती है)
यहाँ तक कि.... लाल किले के एक खास महल मे सुअर (वराह) के मुँह वाले चार नल ...अभी भी लगे हुए हैं.... . क्या ये शाहजहाँ के इस्लाम का प्रतीक चिन्ह है या हमारे हिंदुत्व के प्रमाण....???
साथ ही.... किले के एक द्वार पर बाहर...... हाथी की मूर्ति अंकित है क्योंकि.....राजपूत राजा गजो( हाथियों ) के प्रति अपने प्रेम के लिए विख्यात थे जबकि इस्लाम जीवित प्राणी के मूर्ति का विरोध करता है...!
साथ ही..... लालकिला के दीवाने खास मे...... केसर कुंड नाम से एक कुंड भी बना हुआ है ........ जिसके फर्श पर हिंदुओं मे पूज्य कमल पुष्प अंकित है...!
साथ ही ध्यान देने योग्य बात यह है कि.... केसर कुंड... एक हिंदू शब्दावली है जो कि .... हमारे राजाओ द्वारा केसर जल से भरे स्नान कुंड के लिए प्राचीन काल से ही प्रयुक्त होती रही है...!
मजेदार बात यह है कि.... मुस्लिमों के प्रिय गुंबद या मीनार का कोई अस्तित्व तक नही है........ लालकिला के दीवानेखास और दीवानेआम मे.
इतना ही नहीं.... दीवानेखास के ही निकट राज की न्याय तुला अंकित है.... जो अपनी प्रजा मे से 99 % भाग (हिन्दुओं) को नीच समझने वाला मुगल कभी भी न्याय तुला की कल्पना भी नही कर सकता....... जबकि, ब्राह्मणों द्वारा उपदेशित राजपूत राजाओ की न्याय तुला चित्र से प्रेरणा लेकर न्याय करना हमारे इतिहास मे प्रसिद्द है.
और... दीवाने ख़ास और दीवाने आम की मंडप शैली पूरी तरह से 984 ईस्वी के अंबर के भीतरी महल (आमेर--पुराना जयपुर) से मिलती है...... जो कि राजपूताना शैली मे बना हुई है.
आज भी........ लाल किले से कुछ ही गज की दूरी पर बने हुए देवालय हैं..... जिनमे से एक लाल जैन मंदिर और दूसरा गौरीशंकार मंदिर है ... और, दोनो ही गैर मुस्लिम है जो कि .... शाहजहाँ से कई शताब्दी पहले राजपूत राजाओं के बनवाए हुए है....!
और.. इन सब से भी सबसे बड़ा प्रमाण और सामान्य ज्ञान की बात यही है कि..... लाल किले का मुख्य बाजार चाँदनी चौक ....... केवल हिंदुओं से घिरा हुआ है... और, समस्त पुरानी दिल्ली मे अधिकतर आबादी हिंदुओं की ही है.... साथ ही.... सनलिष्ट और घुमावदार शैली के मकान भी हिंदू शैली के ही है ..
सोचने वाली बात है कि.... क्या शाहजहाँ जैसा धर्मांध व्यक्ति अपने किले के आसपास ........ अरबी, फ़ारसी, तुर्क, अफ़गानी के बजाए.... हम हिंदुओं के लिए हिन्दू शैली में मकान बनवा कर हमको अपने पास बसाता ........?????
और फिर...... शाहजहाँ या एक भी इस्लामी शिलालेख मे ........ लाल किले का वर्णन तक नही है...!
दरअसल......
गर फ़िरदौस बरुरुए ज़मीं अस्त, हमीं अस्ता, हमीं अस्ता, हमीं अस्ता""--अर्थात इस धरती पे अगर कहीं स्वर्ग है तो यही है, यही है, यही है....
इस अनाम शिलालेख के आधार पर... लालकिले को .... शाहजहाँ द्वारा बनवाया गया करार दिया गया है..... जबकि... किसी अनाम शिलालेख के आधार पर कभी भी किसी को .....किसी भवन का निर्माणकर्ता नहीं बताया जा सकता ..और, ना ही ऐसे शिलालेख किसी के निर्माणकर्ता होने का सबूत ही देते हैं ..... जबकि, लालकिले को एक हिन्दू प्रासाद साबित करने के लिए आज भी हजारों साक्ष्य मौजूद हैं....!
यहाँ तक कि.... लालकिले से सम्बंधित बहुत सारे साक्ष्य ..... साक्ष्य पृथ्वीराज रासो से मिलते है.... लेकिन, हमारी सरकार.... मुस्लिम तुष्टिकरण के इस तरह आकंठ डूबी हुई है कि.... उसे लूट से फुर्सत ही नहीं है कि.... वो देश के इतिहास की परख कर सके....!
परन्तु.... लालकिला में ही आज भी अनेकों ऐसे प्रमाण है जो कि.... चीख-चीख कर इसके लाल कोट होने का प्रमाण देते है... और बताते हैं कि....कैसे हिंदू राजाओ के सारे प्रमाण नष्ट करके हिंदुओं का नाम ही इतिहास से हटा दिया गया है... तथा ... अगर कहीं हिंदू नाम आता भी है तो.... केवल नष्ट होने वाले शिकार के रूप मे......ताकि हम हमेशा ही अहिंसा और शांति का पाठ पढ़ कर इस झूठे इतिहास से प्रेरणा ले सके...
अरे जागो हिन्दुओं.....
कब तक बेशर्मों और नपुंसकों की तरह.... अपने धर्म को ख़त्म करने वालो की पूजा करते रहोगे और खुद के सम्मान को बचाने वाले महान हिंदू शासकों के नाम भुलाते रहोगे..???????

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