हमारे वामपंथी इतिहासकारों द्वारा बहुत जोर-शोर से यह भ्रम फैलाया जाता है कि.... हमारे हिंदुस्तान में मुस्लिमों से बहुत सहृदयता से शासन की.... और, समाज के उत्थान के लिए ढेरों काम किये....!
लेकिन, उन मुस्लिम शासकों ने .... समाज का क्या और कैसा उत्थान किया .... यह जानकर आपका मुंह खुला का खुला रह जायेगा....
क्योंकि.... यह जानना किसी भी हिन्दू के लिए बेहद दुखद होगा कि..... आज जिसे हम ""काशी विश्वनाथ मंदिर"" के नाम से जानते हैं ... वो रानी ""अहिल्या देवी होल्कर"" द्वारा 1777 ईस्वी में बनवाया गया ""नया मंदिर"" है.... !
क्योंकि.... अपने जिहादी भावना से वशीभूत होकर अकबर के परपोते औरंगजेब ने अगस्त 1669 में .... 490 ईस्वी में स्थापित ""असली काशी विश्वनाथ मंदिर"" को ध्वस्त कर .... उस स्थान पर ""ज्ञानवापी मस्जिद"" का निर्माण करवा दिया गया था .... जिसे आज भी ""विश्वनाथ मंदिर"" के बगल में आसानी ने देखा जा सकता है....!
और तो और....
औरंगजेब द्वारा ... काशी विश्वनाथ मंदिर को ध्वस्त करने के पीछे ...... हमारे वामपंथी सेक्युलर विचारधारा के इतिहासकार .... क्या कहानी बताते हैं .... वो जानने योग्य है...
औरंगजेब द्वारा विश्वनाथ मंदिर को ध्वस्त करने के उचित कारण बताते एवं औरंगजेब को सही ठहराते हुए ...... सेक्युलर विचारधारा के इतिहासकारों का कहना है कि.....
सन 1669 ईस्वी में .... औरंगजेब अपनी सेना एवं हिन्दू राजा मित्रों के साथ वाराणसी के रास्ते बंगाल जा रहा था...... और, रास्ते में बनारस आने पर .... हिन्दू राजाओं की पत्नियों ने .... गंगा में डुबकी लगा कर काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा करने की इच्छा व्यक्त की ..... जिसे औरंगजेब सहर्ष मान गया और.... और, उसने अपनी सेना का पड़ाव बनारस से पांच किलोमीटर दूर ही रोक दिया ...!
फिर उस स्थान से .... हिन्दू राजाओं की रानियां पालकी एवं अपने अंगरक्षकों के साथ गंगाघाट पहुंची ... और, गंगा में स्नान कर ..... विश्वनाथ मंदिर में पूजा करने चली गई....!
लेकिन, पूजा के उपरांत सभी रानियां तो लौटी लेकिन ... कच्छ की रानी नहीं लौटी , जिससे औरंगजेब के सेना में खलबली गयी और, उसने अपने सेनानायक को रानी को खोज कर लाने का हुक्म दिया ...!
उसके बाद.... औरंगजेब का सेनानायक अपने सैनिकों के साथ रानी को खोजने मंदिर पहुंचा ... जहाँ, काफी खोजबीन के उपरांत ""भगवान गणेश की प्रतिमा के पीछे"" से नीचे की ओर जाती सीढ़ी से मंदिर के तहखाने में उन्हें रानी रोती हुई मिली.... जिसकी अस्मिता और गहने ......... मंदिर के पुजारी द्वारा लुट चुके थे ...!
इसके बाद .... औरंगजेब के लश्कर के साथ मौजूद हिन्दू राज्यों ने .... मंदिर के पुजारी एवं प्रबंधन के खिलाफ कठोरतम करवाई की मांग की .....
जिससे विवश होकर .... औरंगजेब ने सभी पुजारियों को दण्डित करने एवं उस ""विश्वनाथ मंदिर"" को ध्वस्त करने के आदेश दे दिए....और, मंदिर को तोड़ डाला गया ...!
============
लेकिन, मनहूस सेक्युलर इतिहासकारों के इस मनगढंत कहानी में बहुत झोल है .... और, इस कहानी से सम्बंधित कुछ ज्वलंत सवालों के जबाब वे कभी देना नहीं चाहते हैं............
.......
१. औरंगजेब की जीवनी में इस बात कहीं कोई जिक्र ही नहीं है कि.... औरंगजेब कभी बंगाल गया था......
और, बंगाल तो क्या वो कभी.... वाराणसी भी नहीं गया था...!
२. अगर एक बार इतिहासकारों की बात मान भी ली जाए तो...... मंदिर तोड़ने के बाद ... औरंगजेब बंगाल में कहाँ गया और वहां वो क्या किया.... ??????
३. क्या इतिहासकारों का ये कहना है कि..... औरंगजेब जब कहीं युद्ध के लिए जाता था तो... अपने साथ हिन्दू राजा मित्रों को रखता था.... क्योंकि, औरंगजेब की जीवनी में ऐसा कहीं कुछ नहीं लिखा है ...????
४. अगर एक बार फिर ... इन वामपंथी इतिहासकारों की बात मान भी ली जाए तो.... क्या, वे ये कहना चाहते हैं कि...... औरंगजेब और उसके तथाकथित हिन्दू मित्र ... जब भी कहीं युद्ध के लिए जाते थे तो क्या वे..... किसी पिकनिक की तरह...... अपनी पत्नियों को भी ले कर जाते थे...????????
५. जब कच्छ की रानी .... ""अन्य रानियों एवं अपने अंगरक्षकों के साथ""........ मंदिर गयी थी..... तो , किसी पुजारी या महंत द्वारा उसका अपहरण कैसे संभव हुआ .... और, पुजारी द्वारा ऐसा करते हुए किसी ने देखा कैसे नहीं ....?????
६. अगर, किसी तरह ये न हो सकने वाला जादू...... हो भी गया था तो..... साथ के हिन्दू राजाओं ने .... पुजारी को दंड देने एवं मंदिर को तोड़ने का आदेश देने के लिए औरंगजेब को क्यों कहा ... उन हिन्दू राजाओं ने खुद ही उन पुजारियों और मंदिर प्रबंधन को दंड क्यों नहीं दिया....?????
७. अगर किसी तरह ""ये चमत्कार भी"" हो गया था तो.... क्या मंदिर तोड़ने से पहले वहां के ""ज्योतिर्लिंग और अन्य पवित्र मूर्तियों"" को..... शास्त्र सम्मत तरीके से हटाया गया था ...????
८. क्या मंदिरों को तोड़कर वहां पर .... मस्जिद बनाने की प्रार्थना भी ... साथ गए हिन्दू राजाओं ने ही की थी....????
९. मंदिर तोड़ने के बाद और पहले .... इतिहास में उस तथाकथित कच्छ की रानी का जिक्र क्यों नहीं है....?????
==========
इन सब सवालों के जबाब किसी भी इतिहासकारों के पास नहीं है क्योंकि ... यह एक पूरी तरह से मनगढंत कहानी है....!
हकीकत बात ये है कि.... औरंगजेब मदरसे में पढ़ा हुआ एक कट्टर मुसलमान और जेहादी था .... जिसने हिन्दुओं को अपमानित करने के लिए ना सिर्फ काशी विश्वनाथ बल्कि, कृष्णजन्म भूमि मथुरा के मंदिर अन्य सभी प्रसिद्द मंदिरों को ध्वस्त कर वहां मस्जिदों का निर्माण करवा दिया था.....
जिसे.... ये मनहूस वामपंथी सेक्युलर इतिहासकार किसी भी तरह से न्यायोचित ठहराने में लगे हुए हैं....
और .. अपने पुराने विश्वनाथ मंदिर की स्थिति ये है कि.....
वहां औरंगजेब द्वारा बनवाया गया ... ज्ञानवापी मस्जिद आज भी हम हिन्दुओं का मुंह चिढ़ा रहा है ... और, मुल्ले उसमे नियमित नमाज अदा करते हैं..... !
जबकि.... आज भी ज्ञानवापी मस्जिद के दीवारों पर हिन्दू देवी -देवताओं के मूर्ति अंकित हैं.... और, मस्जिद के ठीक सामने .... भगवान विश्वनाथ की नंदी विराजमान है....!
इसीलिए.....
हे हिन्दुओं जागो....
और... जानो अपने सही इतिहास को .....
क्योंकि.... इतिहास की सही जानकारी ही..... इतिहास की पुनरावृति को रोक सकती है...!
लेकिन, उन मुस्लिम शासकों ने .... समाज का क्या और कैसा उत्थान किया .... यह जानकर आपका मुंह खुला का खुला रह जायेगा....
क्योंकि.... यह जानना किसी भी हिन्दू के लिए बेहद दुखद होगा कि..... आज जिसे हम ""काशी विश्वनाथ मंदिर"" के नाम से जानते हैं ... वो रानी ""अहिल्या देवी होल्कर"" द्वारा 1777 ईस्वी में बनवाया गया ""नया मंदिर"" है.... !
क्योंकि.... अपने जिहादी भावना से वशीभूत होकर अकबर के परपोते औरंगजेब ने अगस्त 1669 में .... 490 ईस्वी में स्थापित ""असली काशी विश्वनाथ मंदिर"" को ध्वस्त कर .... उस स्थान पर ""ज्ञानवापी मस्जिद"" का निर्माण करवा दिया गया था .... जिसे आज भी ""विश्वनाथ मंदिर"" के बगल में आसानी ने देखा जा सकता है....!
और तो और....
औरंगजेब द्वारा ... काशी विश्वनाथ मंदिर को ध्वस्त करने के पीछे ...... हमारे वामपंथी सेक्युलर विचारधारा के इतिहासकार .... क्या कहानी बताते हैं .... वो जानने योग्य है...
औरंगजेब द्वारा विश्वनाथ मंदिर को ध्वस्त करने के उचित कारण बताते एवं औरंगजेब को सही ठहराते हुए ...... सेक्युलर विचारधारा के इतिहासकारों का कहना है कि.....
सन 1669 ईस्वी में .... औरंगजेब अपनी सेना एवं हिन्दू राजा मित्रों के साथ वाराणसी के रास्ते बंगाल जा रहा था...... और, रास्ते में बनारस आने पर .... हिन्दू राजाओं की पत्नियों ने .... गंगा में डुबकी लगा कर काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा करने की इच्छा व्यक्त की ..... जिसे औरंगजेब सहर्ष मान गया और.... और, उसने अपनी सेना का पड़ाव बनारस से पांच किलोमीटर दूर ही रोक दिया ...!
फिर उस स्थान से .... हिन्दू राजाओं की रानियां पालकी एवं अपने अंगरक्षकों के साथ गंगाघाट पहुंची ... और, गंगा में स्नान कर ..... विश्वनाथ मंदिर में पूजा करने चली गई....!
लेकिन, पूजा के उपरांत सभी रानियां तो लौटी लेकिन ... कच्छ की रानी नहीं लौटी , जिससे औरंगजेब के सेना में खलबली गयी और, उसने अपने सेनानायक को रानी को खोज कर लाने का हुक्म दिया ...!
उसके बाद.... औरंगजेब का सेनानायक अपने सैनिकों के साथ रानी को खोजने मंदिर पहुंचा ... जहाँ, काफी खोजबीन के उपरांत ""भगवान गणेश की प्रतिमा के पीछे"" से नीचे की ओर जाती सीढ़ी से मंदिर के तहखाने में उन्हें रानी रोती हुई मिली.... जिसकी अस्मिता और गहने ......... मंदिर के पुजारी द्वारा लुट चुके थे ...!
इसके बाद .... औरंगजेब के लश्कर के साथ मौजूद हिन्दू राज्यों ने .... मंदिर के पुजारी एवं प्रबंधन के खिलाफ कठोरतम करवाई की मांग की .....
जिससे विवश होकर .... औरंगजेब ने सभी पुजारियों को दण्डित करने एवं उस ""विश्वनाथ मंदिर"" को ध्वस्त करने के आदेश दे दिए....और, मंदिर को तोड़ डाला गया ...!
============
लेकिन, मनहूस सेक्युलर इतिहासकारों के इस मनगढंत कहानी में बहुत झोल है .... और, इस कहानी से सम्बंधित कुछ ज्वलंत सवालों के जबाब वे कभी देना नहीं चाहते हैं............
.......
१. औरंगजेब की जीवनी में इस बात कहीं कोई जिक्र ही नहीं है कि.... औरंगजेब कभी बंगाल गया था......
और, बंगाल तो क्या वो कभी.... वाराणसी भी नहीं गया था...!
२. अगर एक बार इतिहासकारों की बात मान भी ली जाए तो...... मंदिर तोड़ने के बाद ... औरंगजेब बंगाल में कहाँ गया और वहां वो क्या किया.... ??????
३. क्या इतिहासकारों का ये कहना है कि..... औरंगजेब जब कहीं युद्ध के लिए जाता था तो... अपने साथ हिन्दू राजा मित्रों को रखता था.... क्योंकि, औरंगजेब की जीवनी में ऐसा कहीं कुछ नहीं लिखा है ...????
४. अगर एक बार फिर ... इन वामपंथी इतिहासकारों की बात मान भी ली जाए तो.... क्या, वे ये कहना चाहते हैं कि...... औरंगजेब और उसके तथाकथित हिन्दू मित्र ... जब भी कहीं युद्ध के लिए जाते थे तो क्या वे..... किसी पिकनिक की तरह...... अपनी पत्नियों को भी ले कर जाते थे...????????
५. जब कच्छ की रानी .... ""अन्य रानियों एवं अपने अंगरक्षकों के साथ""........ मंदिर गयी थी..... तो , किसी पुजारी या महंत द्वारा उसका अपहरण कैसे संभव हुआ .... और, पुजारी द्वारा ऐसा करते हुए किसी ने देखा कैसे नहीं ....?????
६. अगर, किसी तरह ये न हो सकने वाला जादू...... हो भी गया था तो..... साथ के हिन्दू राजाओं ने .... पुजारी को दंड देने एवं मंदिर को तोड़ने का आदेश देने के लिए औरंगजेब को क्यों कहा ... उन हिन्दू राजाओं ने खुद ही उन पुजारियों और मंदिर प्रबंधन को दंड क्यों नहीं दिया....?????
७. अगर किसी तरह ""ये चमत्कार भी"" हो गया था तो.... क्या मंदिर तोड़ने से पहले वहां के ""ज्योतिर्लिंग और अन्य पवित्र मूर्तियों"" को..... शास्त्र सम्मत तरीके से हटाया गया था ...????
८. क्या मंदिरों को तोड़कर वहां पर .... मस्जिद बनाने की प्रार्थना भी ... साथ गए हिन्दू राजाओं ने ही की थी....????
९. मंदिर तोड़ने के बाद और पहले .... इतिहास में उस तथाकथित कच्छ की रानी का जिक्र क्यों नहीं है....?????
==========
इन सब सवालों के जबाब किसी भी इतिहासकारों के पास नहीं है क्योंकि ... यह एक पूरी तरह से मनगढंत कहानी है....!
हकीकत बात ये है कि.... औरंगजेब मदरसे में पढ़ा हुआ एक कट्टर मुसलमान और जेहादी था .... जिसने हिन्दुओं को अपमानित करने के लिए ना सिर्फ काशी विश्वनाथ बल्कि, कृष्णजन्म भूमि मथुरा के मंदिर अन्य सभी प्रसिद्द मंदिरों को ध्वस्त कर वहां मस्जिदों का निर्माण करवा दिया था.....
जिसे.... ये मनहूस वामपंथी सेक्युलर इतिहासकार किसी भी तरह से न्यायोचित ठहराने में लगे हुए हैं....
और .. अपने पुराने विश्वनाथ मंदिर की स्थिति ये है कि.....
वहां औरंगजेब द्वारा बनवाया गया ... ज्ञानवापी मस्जिद आज भी हम हिन्दुओं का मुंह चिढ़ा रहा है ... और, मुल्ले उसमे नियमित नमाज अदा करते हैं..... !
जबकि.... आज भी ज्ञानवापी मस्जिद के दीवारों पर हिन्दू देवी -देवताओं के मूर्ति अंकित हैं.... और, मस्जिद के ठीक सामने .... भगवान विश्वनाथ की नंदी विराजमान है....!
इसीलिए.....
हे हिन्दुओं जागो....
और... जानो अपने सही इतिहास को .....
क्योंकि.... इतिहास की सही जानकारी ही..... इतिहास की पुनरावृति को रोक सकती है...!
2 टिप्पणियां:
jai shree Ram.
kahatay hain ki waqt vapas lout kar aata hai... Hinduism ka bhi lout raha hai... jai shree ram
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