क्या आप जानते हैं कि.... काशी विश्वनाथ और मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि मदिर के विध्वंसक ....जेहादी आताताई औरंगजेब की मृत्यु कैसे हुई थी....?????
दरअसल... औरंगजेब ...और, हिन्दुओं के प्रति उसकी क्रूरता से लगभग हम सभी परिचित हैं.... परन्तु उस आताताई के मृत्यु की कहानी बहुत कम लोगों को ही मालूम होगी...!
उस आततायी के मौत की कहानी और कुछ नहीं .... बल्कि.. हमारे वीर पूर्वजों की वीर गाथा है .......जो कुछ इस प्रकार है कि....
14वीं और 15वीं शताब्दी में...... गद्दारों के मिलीभगत के कारण (जैसे आज के ज़माने में सेक्युलर हैं) .... कई युद्धों में हार के बाद हिन्दू महासभा द्वारा साधू-संतों की अगुवाई में यह निर्णय लिया गया कि .... अब प्रमुख साधू-संतों द्वारा "व्यक्ति निर्माण" का कार्य अपने हाथों में लिए जाए l
और... इस पुनीत कार्य हेतु..... बहुत से संतों ने अपना अपना राष्ट्रीय एवं धार्मिक कर्तव्य निभाते हुए समय-समय पर शूरवीरों का निर्माण किया l
समर्थ गुरु रामदास जी भी इसी श्रेणी में आते हैं...... जिन्होंने ""वीर शिवाजी"" का निर्माण किया l
वहीँ.... प्राण नाथ महाप्रभु जी ने..... बुन्देलखण्ड से "राजा छत्रसाल" का निर्माण किया l
और..... ओहम नरेश को श्री राम महाप्रभु....... द्वारा तैयार किया गया l
उस समय तक.... महान हिन्दु सम्राट शिवाजी.... का स्वर्गवास हो चूका था l
और.... सम्भाजी के अंग-अंग काट कर उनकी नृशंस हत्या .... औरंगजेब के सामने ही कर दी गई थी l
इसके बाद...... हिन्दू महासभा की अगुआई में हम हिन्दुओं के सामूहिक प्रयास द्वारा...... भारत में चारों ओर से.....औरंगजेब के विरुद्ध ...छापामार युद्ध आरम्भ किया गया... जिसमे की बहुत से धर्म-गुरुओं और साधू-संतों द्वारा समय-समय पर नीतियाँ और परामर्श भी दिए जाते रहे l
यहाँ... मैं आपको यह दिलाना चाहूँगी कि.... औरंगजेब की सेना .......""धन से और व्यक्तियों से"" इतिहास में सबसे बड़ी सेना मानी जाती है...... l
परन्तु फिर भी हिन्दुओं ने हार नहीं मानी ...तथा, ....औरंगजेब को मारने के छोटे-छोटे प्रयास हमेशा ही किये जाते थे ..... लेकिन , वो जेहादी किस्मत का धनी था… और... शायद भारत के गद्दारों के निष्ठा का भी l
यहाँ तक कि....... मराठा नेता संताजी और धनाजी द्वारा .... औरंगजेब के तम्बू की सारी रस्सियाँ ही काट कर तम्बू ही गिरा दिया गया था......परन्तु , औरंगजेब उस रात अपनी बेटी के तम्बू में था.... और, उसी के साथ सो रहा था...... जिस कारण वो तो बच गया .... पर बाकी सारे के सारे लोग... मारे गए l
फिर भी... इस हिन्दुओं के अचानक और जोरदार हमले के बाद..... संता जी और धनाजी की ख्याति भी बहुत बढ़ चुकी थी..... तथा .... मुस्लिमों में उनका इतना आतंक व्याप्त हो चुका था कि.... यदि कोई घोड़ा पानी भी नहीं पीता था... तो, उसे मुसलमान कहते थे कि .. क्या तूने संता जी और धना जी को देख लिया है …. जो डर के मारे पानी नहीं पी रहा है...???
इसी तरह.... दूसरी तरफ , बुन्देलखण्ड के "वीर छत्रसाल" ने सौगंध ली हुई थी कि..... वे औरंगजेब को.... व्यक्तिगत युद्ध में अपनी तलवार से हराएंगे ….. और , छत्रसाल महाराज द्वारा ऐसे कई प्रयास भी किये गए .....परन्तु, अथक प्रयासों के बावजूद वीर छत्रसाल सफल न हो पाए l
अंतत:...... प्राण नाथ महाप्रभु जी ने कहा कि .... औरंगजेब का जिन्दा रहना ..... एक-एक दिन भारी पड़ रहा है हिन्दुओं पर.... क्योंकि, जब तक औरंगजेब रोज ढाई मन जनेऊ न जला लेता था ..... तब तक उसे नींद नहीं आती थी l
अब आप.... इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि .... ढाई मन जनेऊ एक दिन में जलाने के लिए ..... कितने हिन्दुओं को मारा और सताया जाता होगा.... तथा, कितने बड़े स्तर पर धर्म परिवर्तन किया जाता होगा..... साथ ही, कितनी ही औरतों का शारीरिक मान मर्दन किया जाता होगा.... एवं ... कितने ही मन्दिरों तथा प्रतिमाओं का विध्वंस किया जाता होगा ..??????
प्राण नाथ महाप्रभु जी की यह बातें सुन कर....... छत्रसाल जी ने अपनी सौगंध वापिस लेकर कहा कि .... आप जो कहेंगे मैं वो करूँगा ... इसीलिए आप दुखी न हों…और , मुझे आदेश दें l
जिसके बाद.... प्राणनाथ महाप्रभु जी ने...... एक ख़ास प्रकार के जहर से युक्त एक खंजर दिया बुन्देलखण्ड को और सारी योजना समझाते हुए कहा कि .... यह खंजर उस आतताई औरंगजेब को पूरा नहीं मारना है..अन्यथा ... वो तत्काल प्रभाव से मर जायेगा ….. अतः ये खंजर केवल उसको एक इंच से भी कम गहराई का घाव देते हुए..... लम्बा सा एक चीरा ही मारना था ..!
जिससे कि .... धीरे धीरे उस जहर का असर फैलेगा..... और, वो आतताई औरंगजेब तडप-तडप कर मरेगा l
और, ख़ुशी कि बात है कि.... बुन्देला वीर छत्रसाल ने इस कार्य को सफलता पूर्वक अंजाम दिया.... और, जैसा प्राण नाथ महाप्रभु जी ने कहा था... ठीक उसी प्रकार उसके शरीर पर एक चीरा दिया…. जिससे ... वो औरंगजेब 3 महीने तक बिस्तर पर रह कर तड़पता रहा... और, इसी तरह वो तडप तडप कर कुत्ते से भी बदतर मौत मरा...... तथा ... उसके पापों का का अंत हुआ l
औरंगशाही में औरंगजेब ने स्वयं लिखा है कि... ""मुझे प्राण नाथ महाप्रभु और छत्रसाल ने धोखे और छल से मारा है ""l
अतः.... आप अपने पूर्वजों के इतिहास जो जानें और समझने का प्रयास करें…. तथा... उनके द्वारा स्थापित किये गए सिद्धांतों को जीवित रखें l
जिस सनातन संस्कृति को जीवित रखने के लिए ..... अखंड भारत के सीमाओं की रक्षा हेतु हमारे असंख्य पूर्वजों ने अपने शौर्य और पराक्रम से... अनेकों बार अपने प्राणों तक की आहुति दी गयी हो....उसे हम किस प्रकार आसानी से भुलाते जा रहे हैं...?????
याद रखें..... सीमाएं उसी राष्ट्र की विकसित और सुरक्षित रहेंगी ….. जो सदैव संघर्षरत रहेंगे l
क्योंकि..... जो लड़ना ही भूल जाएँगे..... वो न स्वयं सुरक्षित रहेंगे....... न ही अपने राष्ट्र को सुरक्षित बना पाएंगे ।
दरअसल... औरंगजेब ...और, हिन्दुओं के प्रति उसकी क्रूरता से लगभग हम सभी परिचित हैं.... परन्तु उस आताताई के मृत्यु की कहानी बहुत कम लोगों को ही मालूम होगी...!
उस आततायी के मौत की कहानी और कुछ नहीं .... बल्कि.. हमारे वीर पूर्वजों की वीर गाथा है .......जो कुछ इस प्रकार है कि....
14वीं और 15वीं शताब्दी में...... गद्दारों के मिलीभगत के कारण (जैसे आज के ज़माने में सेक्युलर हैं) .... कई युद्धों में हार के बाद हिन्दू महासभा द्वारा साधू-संतों की अगुवाई में यह निर्णय लिया गया कि .... अब प्रमुख साधू-संतों द्वारा "व्यक्ति निर्माण" का कार्य अपने हाथों में लिए जाए l
और... इस पुनीत कार्य हेतु..... बहुत से संतों ने अपना अपना राष्ट्रीय एवं धार्मिक कर्तव्य निभाते हुए समय-समय पर शूरवीरों का निर्माण किया l
समर्थ गुरु रामदास जी भी इसी श्रेणी में आते हैं...... जिन्होंने ""वीर शिवाजी"" का निर्माण किया l
वहीँ.... प्राण नाथ महाप्रभु जी ने..... बुन्देलखण्ड से "राजा छत्रसाल" का निर्माण किया l
और..... ओहम नरेश को श्री राम महाप्रभु....... द्वारा तैयार किया गया l
उस समय तक.... महान हिन्दु सम्राट शिवाजी.... का स्वर्गवास हो चूका था l
और.... सम्भाजी के अंग-अंग काट कर उनकी नृशंस हत्या .... औरंगजेब के सामने ही कर दी गई थी l
इसके बाद...... हिन्दू महासभा की अगुआई में हम हिन्दुओं के सामूहिक प्रयास द्वारा...... भारत में चारों ओर से.....औरंगजेब के विरुद्ध ...छापामार युद्ध आरम्भ किया गया... जिसमे की बहुत से धर्म-गुरुओं और साधू-संतों द्वारा समय-समय पर नीतियाँ और परामर्श भी दिए जाते रहे l
यहाँ... मैं आपको यह दिलाना चाहूँगी कि.... औरंगजेब की सेना .......""धन से और व्यक्तियों से"" इतिहास में सबसे बड़ी सेना मानी जाती है...... l
परन्तु फिर भी हिन्दुओं ने हार नहीं मानी ...तथा, ....औरंगजेब को मारने के छोटे-छोटे प्रयास हमेशा ही किये जाते थे ..... लेकिन , वो जेहादी किस्मत का धनी था… और... शायद भारत के गद्दारों के निष्ठा का भी l
यहाँ तक कि....... मराठा नेता संताजी और धनाजी द्वारा .... औरंगजेब के तम्बू की सारी रस्सियाँ ही काट कर तम्बू ही गिरा दिया गया था......परन्तु , औरंगजेब उस रात अपनी बेटी के तम्बू में था.... और, उसी के साथ सो रहा था...... जिस कारण वो तो बच गया .... पर बाकी सारे के सारे लोग... मारे गए l
फिर भी... इस हिन्दुओं के अचानक और जोरदार हमले के बाद..... संता जी और धनाजी की ख्याति भी बहुत बढ़ चुकी थी..... तथा .... मुस्लिमों में उनका इतना आतंक व्याप्त हो चुका था कि.... यदि कोई घोड़ा पानी भी नहीं पीता था... तो, उसे मुसलमान कहते थे कि .. क्या तूने संता जी और धना जी को देख लिया है …. जो डर के मारे पानी नहीं पी रहा है...???
इसी तरह.... दूसरी तरफ , बुन्देलखण्ड के "वीर छत्रसाल" ने सौगंध ली हुई थी कि..... वे औरंगजेब को.... व्यक्तिगत युद्ध में अपनी तलवार से हराएंगे ….. और , छत्रसाल महाराज द्वारा ऐसे कई प्रयास भी किये गए .....परन्तु, अथक प्रयासों के बावजूद वीर छत्रसाल सफल न हो पाए l
अंतत:...... प्राण नाथ महाप्रभु जी ने कहा कि .... औरंगजेब का जिन्दा रहना ..... एक-एक दिन भारी पड़ रहा है हिन्दुओं पर.... क्योंकि, जब तक औरंगजेब रोज ढाई मन जनेऊ न जला लेता था ..... तब तक उसे नींद नहीं आती थी l
अब आप.... इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि .... ढाई मन जनेऊ एक दिन में जलाने के लिए ..... कितने हिन्दुओं को मारा और सताया जाता होगा.... तथा, कितने बड़े स्तर पर धर्म परिवर्तन किया जाता होगा..... साथ ही, कितनी ही औरतों का शारीरिक मान मर्दन किया जाता होगा.... एवं ... कितने ही मन्दिरों तथा प्रतिमाओं का विध्वंस किया जाता होगा ..??????
प्राण नाथ महाप्रभु जी की यह बातें सुन कर....... छत्रसाल जी ने अपनी सौगंध वापिस लेकर कहा कि .... आप जो कहेंगे मैं वो करूँगा ... इसीलिए आप दुखी न हों…और , मुझे आदेश दें l
जिसके बाद.... प्राणनाथ महाप्रभु जी ने...... एक ख़ास प्रकार के जहर से युक्त एक खंजर दिया बुन्देलखण्ड को और सारी योजना समझाते हुए कहा कि .... यह खंजर उस आतताई औरंगजेब को पूरा नहीं मारना है..अन्यथा ... वो तत्काल प्रभाव से मर जायेगा ….. अतः ये खंजर केवल उसको एक इंच से भी कम गहराई का घाव देते हुए..... लम्बा सा एक चीरा ही मारना था ..!
जिससे कि .... धीरे धीरे उस जहर का असर फैलेगा..... और, वो आतताई औरंगजेब तडप-तडप कर मरेगा l
और, ख़ुशी कि बात है कि.... बुन्देला वीर छत्रसाल ने इस कार्य को सफलता पूर्वक अंजाम दिया.... और, जैसा प्राण नाथ महाप्रभु जी ने कहा था... ठीक उसी प्रकार उसके शरीर पर एक चीरा दिया…. जिससे ... वो औरंगजेब 3 महीने तक बिस्तर पर रह कर तड़पता रहा... और, इसी तरह वो तडप तडप कर कुत्ते से भी बदतर मौत मरा...... तथा ... उसके पापों का का अंत हुआ l
औरंगशाही में औरंगजेब ने स्वयं लिखा है कि... ""मुझे प्राण नाथ महाप्रभु और छत्रसाल ने धोखे और छल से मारा है ""l
अतः.... आप अपने पूर्वजों के इतिहास जो जानें और समझने का प्रयास करें…. तथा... उनके द्वारा स्थापित किये गए सिद्धांतों को जीवित रखें l
जिस सनातन संस्कृति को जीवित रखने के लिए ..... अखंड भारत के सीमाओं की रक्षा हेतु हमारे असंख्य पूर्वजों ने अपने शौर्य और पराक्रम से... अनेकों बार अपने प्राणों तक की आहुति दी गयी हो....उसे हम किस प्रकार आसानी से भुलाते जा रहे हैं...?????
याद रखें..... सीमाएं उसी राष्ट्र की विकसित और सुरक्षित रहेंगी ….. जो सदैव संघर्षरत रहेंगे l
क्योंकि..... जो लड़ना ही भूल जाएँगे..... वो न स्वयं सुरक्षित रहेंगे....... न ही अपने राष्ट्र को सुरक्षित बना पाएंगे ।
2 टिप्पणियां:
nice post.
Itihas ki koi bhisachchai nahi hay anginat mandiro ko Auragzaib ne jagir den thi joaaj bhi mandiro mathon k pass hay .
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