क्या आप जानते हैं कि.... श्रीमद भागवत गीता क्या है.... और, हमारे जीवन में इसका क्या महत्व है.....??????
असल में..... आप इसे आधुनिक अंग्रेजी शिक्षा का प्रभाव कहें या धर्म के प्रति कूलडूडोँ की उदासीनता ..... लेकिन, ये कटु सत्य है कि..... आज हमारे हिन्दुओं में ही ....अपने हिन्दू धर्म और धर्मग्रंथों की जानकारी नहीं के बराबर है...!
और... यही सबसे बड़ा कारण है कि.... आज लोग हिन्दू बनने के स्थान पर .... ""सेक्युलर" बनते जा रहे हैं ..... जिसका अपना कोई अस्तित्व ही नहीं होता है.... और, ऐसे लोग खुद की कुंठा मिटाने के लिए .... ""सभी धर्मों को एक समान"" बताते फिरते हैं..... ताकि, कोई उनसे ... उनके धर्मग्रंथों के बारे में ना पूछ लें....!
हद तो ये है कि.... आज के कूल डूडोँ को ...."आई लव यू" और "आई मिस यू"..... जैसे शब्द बोलने के पचासों तरीके आते हैं .... लेकिन, उन्हें अपने परम पवित्र ""वेद "" अथवा ""श्रीमद भागवत गीता"" के बारे में सिर्फ इतना ही मालूम है कि..... ये हमारा ""कोई धर्मग्रन्थ"" है ..... जो घर के पूजा स्थान में रखा जाता है...!
और , हमारे हिन्दू समाज के लिए यह स्थिति काफी घातक है ..... क्योंकि, आज जो युवा हैं .... कल को वे ही बुजुर्ग होंगे..... और, यदि उन्हें ही कुछ मालूम नहीं होगा तो...... वे अपने आने वाली पीढ़ी को उनके धर्म और धर्म ग्रंथों के बारे में कुछ भी नहीं बता पाएंगे.... ना ही , उनका चरित्र निर्माण कर पाएंगे....!
इसीलिए.... आज जानिए हमारे परम पवित्र "श्री मद्-भगवत गीता" के बारे में-
श्रीमद भागवत गीता .... मानव जीवन से सम्बंधित ज्ञान का एक संकलन है ..... जो भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई थी.... जब महाभारत के युद्ध में ..... विचलित होकर अपने कर्तव्य से विमुख हो रहे थे....!
ये गीता उपदेश आज से लगभग 7 हज़ार साल पहले सुनाई गयी थी.... और, इसकी खासियत है कि..... यह आज के दिन में भी उतना ही प्रासंगिक है ... तथा, तबतक प्रासंगिक रहेगा ... जब तक इस धरती पर मानव जीवन का अस्तित्व है...!
यह गीता उपदेश ....... कुरुक्षेत्र के रणभूमि में रविवार के दिन सुनाया गया और उस दिन एकादशी थी.... इसीलिए , हमारे हिन्दू समाज में एकादशी का इतना महत्व है...
यह गीता उपदेश लगभग 45 मिनट में सुनाई गयी थी.....!
और, यह गीता ज्ञान ..... कर्त्तव्य से भटके हुए अर्जुन को कर्त्तव्य सिखाने के लिए और आने वाली पीढियों को धर्म-ज्ञान सिखाने के लिए..... दिया गया था....!
हमारे .. श्रीमद भागवत गीता में कुल 18 अध्याय एवं 700 श्लोक हैं...!
जिसमे मुख्य रूप से ......... ज्ञान.....भक्ति.... एवं , कर्म योग मार्गो की विस्तृत व्याख्या की गयी है ........ और, इन मार्गो पर चलने से व्यक्ति निश्चित ही परमपद (जीवन में सफलता ) का अधिकारी बन जाता है।
इस गीता उपदेश को.... उस कुरुक्षेत्र में ... अर्जुन के अलावा सिर्फ...... धृतराष्ट्र एवं संजय ने ही सुना था....!
और..... आपको यह जानकार बेहद आश्चर्य होगा कि...... अर्जुन से पहले यह गीता उपदेश .... भगवान सूर्यदेव को दिया गया था...!
श्रीमद भगवत गीता की गिनती हमारे "उपनिषदों" में होती है .........जो कि... हम हिन्दू के धर्मग्रन्थ हैं और जिनमे जीवन के विभिन्न पहलुओं और जीने का तरीका बताया गया है...!
साथ ही श्रीमदभगवत गीता .......... हमारे महाकाव्य महाभारत के एक अध्याय ""शांति-पर्व"" का एक हिस्सा है।
श्रीमद भागवत गीता के दूसरा नाम " गीतोपनिषद" भी है ...!
श्रीमद भागवत गीता का प्रमुख सार यह है कि..... मनुष्य को किसी भी परिस्थिति में घबड़ाना नहीं चाहिए ... ना ही , अपने कर्तव्य से विमुख होना चाहिए ... क्योंकि, अंत में जीत सत्य की ही होती है... और, परिवर्तन ही संसार का नियम है...!
श्रीमद भागवत गीता में कुल 700 श्लोक है ..... जिसमे भगवान श्रीकृष्ण ने- 574 .......... अर्जुन ने- 85 ........... धृतराष्ट्र ने- 1 .......... तथा , संजय ने- 40.... श्लोक कहे हैं...!
अथ श्रीमद भागवत गीता कथा...!
जय श्रीकृष्ण .....
असल में..... आप इसे आधुनिक अंग्रेजी शिक्षा का प्रभाव कहें या धर्म के प्रति कूलडूडोँ की उदासीनता ..... लेकिन, ये कटु सत्य है कि..... आज हमारे हिन्दुओं में ही ....अपने हिन्दू धर्म और धर्मग्रंथों की जानकारी नहीं के बराबर है...!
और... यही सबसे बड़ा कारण है कि.... आज लोग हिन्दू बनने के स्थान पर .... ""सेक्युलर" बनते जा रहे हैं ..... जिसका अपना कोई अस्तित्व ही नहीं होता है.... और, ऐसे लोग खुद की कुंठा मिटाने के लिए .... ""सभी धर्मों को एक समान"" बताते फिरते हैं..... ताकि, कोई उनसे ... उनके धर्मग्रंथों के बारे में ना पूछ लें....!
हद तो ये है कि.... आज के कूल डूडोँ को ...."आई लव यू" और "आई मिस यू"..... जैसे शब्द बोलने के पचासों तरीके आते हैं .... लेकिन, उन्हें अपने परम पवित्र ""वेद "" अथवा ""श्रीमद भागवत गीता"" के बारे में सिर्फ इतना ही मालूम है कि..... ये हमारा ""कोई धर्मग्रन्थ"" है ..... जो घर के पूजा स्थान में रखा जाता है...!
और , हमारे हिन्दू समाज के लिए यह स्थिति काफी घातक है ..... क्योंकि, आज जो युवा हैं .... कल को वे ही बुजुर्ग होंगे..... और, यदि उन्हें ही कुछ मालूम नहीं होगा तो...... वे अपने आने वाली पीढ़ी को उनके धर्म और धर्म ग्रंथों के बारे में कुछ भी नहीं बता पाएंगे.... ना ही , उनका चरित्र निर्माण कर पाएंगे....!
इसीलिए.... आज जानिए हमारे परम पवित्र "श्री मद्-भगवत गीता" के बारे में-
श्रीमद भागवत गीता .... मानव जीवन से सम्बंधित ज्ञान का एक संकलन है ..... जो भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई थी.... जब महाभारत के युद्ध में ..... विचलित होकर अपने कर्तव्य से विमुख हो रहे थे....!
ये गीता उपदेश आज से लगभग 7 हज़ार साल पहले सुनाई गयी थी.... और, इसकी खासियत है कि..... यह आज के दिन में भी उतना ही प्रासंगिक है ... तथा, तबतक प्रासंगिक रहेगा ... जब तक इस धरती पर मानव जीवन का अस्तित्व है...!
यह गीता उपदेश ....... कुरुक्षेत्र के रणभूमि में रविवार के दिन सुनाया गया और उस दिन एकादशी थी.... इसीलिए , हमारे हिन्दू समाज में एकादशी का इतना महत्व है...
यह गीता उपदेश लगभग 45 मिनट में सुनाई गयी थी.....!
और, यह गीता ज्ञान ..... कर्त्तव्य से भटके हुए अर्जुन को कर्त्तव्य सिखाने के लिए और आने वाली पीढियों को धर्म-ज्ञान सिखाने के लिए..... दिया गया था....!
हमारे .. श्रीमद भागवत गीता में कुल 18 अध्याय एवं 700 श्लोक हैं...!
जिसमे मुख्य रूप से ......... ज्ञान.....भक्ति.... एवं , कर्म योग मार्गो की विस्तृत व्याख्या की गयी है ........ और, इन मार्गो पर चलने से व्यक्ति निश्चित ही परमपद (जीवन में सफलता ) का अधिकारी बन जाता है।
इस गीता उपदेश को.... उस कुरुक्षेत्र में ... अर्जुन के अलावा सिर्फ...... धृतराष्ट्र एवं संजय ने ही सुना था....!
और..... आपको यह जानकार बेहद आश्चर्य होगा कि...... अर्जुन से पहले यह गीता उपदेश .... भगवान सूर्यदेव को दिया गया था...!
श्रीमद भगवत गीता की गिनती हमारे "उपनिषदों" में होती है .........जो कि... हम हिन्दू के धर्मग्रन्थ हैं और जिनमे जीवन के विभिन्न पहलुओं और जीने का तरीका बताया गया है...!
साथ ही श्रीमदभगवत गीता .......... हमारे महाकाव्य महाभारत के एक अध्याय ""शांति-पर्व"" का एक हिस्सा है।
श्रीमद भागवत गीता के दूसरा नाम " गीतोपनिषद" भी है ...!
श्रीमद भागवत गीता का प्रमुख सार यह है कि..... मनुष्य को किसी भी परिस्थिति में घबड़ाना नहीं चाहिए ... ना ही , अपने कर्तव्य से विमुख होना चाहिए ... क्योंकि, अंत में जीत सत्य की ही होती है... और, परिवर्तन ही संसार का नियम है...!
श्रीमद भागवत गीता में कुल 700 श्लोक है ..... जिसमे भगवान श्रीकृष्ण ने- 574 .......... अर्जुन ने- 85 ........... धृतराष्ट्र ने- 1 .......... तथा , संजय ने- 40.... श्लोक कहे हैं...!
अथ श्रीमद भागवत गीता कथा...!
जय श्रीकृष्ण .....
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें