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सोमवार, अगस्त 17

आतंकवादी हमले क्यों होते है??

क्या आप जानते हैं कि....एक इस्लामिक देश होने के बावजूद भी ... पिग्गिस्तान पर अक्सर आतंकवादी हमले क्यों होते रहते हैं....?????
ये जानना इसीलिए जरुरी है क्योंकि.... भारत में हुए आतंकवादी हमले को यह कह कर छुपाया जाता है कि.... हमारे हिंदुस्तान में मुस्लिम पिछड़ा व् अशिक्षित है ... इसीलिए, वो असामाजिक तत्वों के बहकावे में आ जाता है...!
लेकिन... जब ऐसा कहने मनहूस बुद्धिजीवियों से .... पिग्गिस्तान , बांग्लादेश , अफगानिस्तान इत्यादि में होने वाले आतंकवादी हमलों के बारे में पूछा जाता है तो वे आश्चर्यजनक रूप से चुप्पी साध लेते हैं....!
सच्चाई तो यह है कि..... हम जिसे महज आतंकवादी हमला समझते हैं ... वो , आतंकवादी हमला है ही नहीं.... बल्कि, वो ""इस्लामी जिहाद"" है...!
शायद, आपको आश्चर्य हो रहा होगा कि.... "जिहाद" तो.... भारत या अमेरिका जैसे देश में समझने लायक बात है .... लेकिन, इस्लामी मुल्कों में भी क्यों और कैसा जिहाद ...???????
दरअसल.... ये सारा खेल कुरान और जिहाद का ही है..... और, कुरान में जिहाद के विभिन्न प्रकार बताये गए हैं.... तथा, दुनिया को तीन भागों में बांटा गया है...
जो इस प्रकार हैं....
1 . अल-तकैया
2 . दारुल -हरब
3 . दारुल-इस्लाम
1.अल-तकैया - अल तकैया... वैसे देशों के लिए बनाया गया नियम है .... जहाँ मुस्लिम आबादी काफी कम है और.... गैर मुस्लिम जनसँख्या .... बहुसंख्यक एवं एकजुट हैं... जैसे कि... आस्ट्रेलिया, अमेरिका , ब्रिटेन, फ़्रांस, जापान, चीन इत्यादि...!
ऐसे देशों और जगहों के लिए... कुरान में कहा गया है कि.... मुस्लिम ऐसी जगहों पर.... शांति से रहें , और वहां के कानून का पालन करते हुए....चतुराई, चालाकी, चालबाजी, षडयंत्रों के जरिये इस्लाम के विस्तार की योजनाएं बनाते रहें...।
सुन्नी विद्वान इब्न कथीर की व्याख्या के अनुसार ....“अल्लाह को मानने वाले”, और “नहीं मानने वाले” के बीच कोई दोस्ती नहीं होनी चाहिए, यदि किसी कारणवश ऐसा करना भी पड़े ....तो, वह दोस्ती मकसद पूरा होने तक सिर्फ़ “बाहरी स्वरूप” में होनी चाहिए…।
2.दारुल हरब -
दारुल हरब वैसे जगहों और देशों के बारे में बताता है .... जहाँ , मुस्लिम जनसँख्या कम तो है लेकिन... वहां के समाज को प्रभावित करने लायक है ... तथा, वहां ... बहुसंख्यक समाज बंटा हुआ हो... जैसे कि ... भारत ...!
ऐसी जगहों के बारे में इस्लाम का कहना है कि.... मुस्लिम , जेहादियों की मदद करें... तथा, नित नयी-नयी मांगें रखकर .... वहां की सरकार की अस्थिर रखें.... साथ ही... वैसे प्रदेशों में .... बहुसंख्यक समाज को डरा कर... एवं, तेजी से जनसँख्या विस्तार करते हुए..... उसे जल्द से जल्द ""दारुल-इस्लाम"" में परिवर्तित करें...!
हमारा हिंदुस्तान अभी.... कुरान के नजरिये से .... ""दारुल -हरब"" की स्थिति में है.... और, इसीलिए .... हिंदुस्तान में अभी ..... लगातार आतंकवादी हमलों तथा मुस्लिम जनसँख्या विस्फोट द्वारा इसे.... ""दारुल-इस्लाम"" बनाने का प्रयास किया जा रहा है...!
3.दारुल-इस्लाम -
दारुल -इस्लाम ... में वैसे प्रदेशों व् देशों को रखा गया है .... जहाँ मुस्लिम बहुसंख्यक हैं ... और, अन्य दूसरे धर्माबलम्बी अल्पसंख्यक हैं... जैसे कि, पाकिस्तान, अफगानिस्तान , बांग्लादेश, इत्यादि...!
वैसे जगहों पर इस्लाम का कहना है कि..... वैसे जगहों पर ... अन्य धर्म के लोगों को ... पूजा करने , पूजा स्थल बनाने , अथवा सार्वजानिक आयोजन की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए ... तथा , गैर धर्म के लोगों से ""जीने का टैक्स"" ( जजिया कर ) लिया जाना चाहिए...!
साथ ही पूरे प्रदेश में... शरीयत कानून लागू होना चाहिए ... जैसा कि सऊदी अरब में है ( पहले तालिबान में भी था )
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यहाँ समझने वाली बात ये है कि..... पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश ... इत्यादि देश .. मुस्लिम बहुल देश हैं ... और, घोषित रूप से ... इस्लामिक देश भी हैं..... जहाँ , शरीयत कानून भी लागू है .... लेकिन , वो परोक्ष रूप में है....!
अर्थात.. इन प्रदेशों में .... दूसरे धर्म के लोगों को ... तंग तो किया जाता है .... लेकिन, उनसे ""जजिया कर"" नहीं लिया जाता है..... साथ ही, वहां बुरका अनिवार्य तो है .. लेकिन, महिलाओं के स्कूल जाने पर , अथवा ... वहां फिल्मों पर पाबन्दी नहीं है...!
इन्ही बातों से कुपित होकर ..... और, दारुल-इस्लामी क्षेत्रों में ..... पूर्ण शरीयत कानून लागू करने के मांगों के कारण के ही....
एक घोषित इस्लामी देश होने के बावजूद भी..... अफगानिस्तान, पिग्गिस्तान और बांग्लादेश सरीखे प्रदेश ..... हमेशा मुस्लिम आतंकवादियों के निशाने पर रहता है...!
इस तरह .... एक सीधे शब्दों में हम कह सकते हैं कि..... इस्लाम दुनिया में भाई-चारा और ""प्रेम-भाव वाला शांति "" नहीं चाहता है ..... बल्कि, ये अपने जिहाद के जरिए .... पूरी दुनिया में ""मरघट सा सन्नाटा"" फैला देना चाहता है...!

Source : http://www.answeringmus
lims.com/2012/01/three-stages-of-
jihad.html
 नोट -यह लेख किसी भी समुदाय की भावना को आहत करने के लिए नहीं... बल्कि, गहन अध्धयन एवं शोध के बाद ... सामाजिक जागरूकता के लिए लिखी गयी है.... और, इस लेख पर चर्चा के लिए किसी भी धर्म के विद्वान सादर आमंत्रित हैं....!
बिना ठीक से पढ़े ... अथवा , बिना तर्कसंगत जबाब के..... कृपया लेख पर गाली -गलौज कर अपने पारिवारिक संस्कारों का प्रदर्शन ना करें....

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